@शब्द दूत ब्यूरो
नई दिल्ली। आने वाले दिनों में भारतीय जनता पार्टी की राज्यसभा में और बढ़त होने जा रही है। माना जा रहा है कि 11 सितंबर को होने जा रहे उप-चुनाव के लिए आंकड़ों के बल पर बीजेपी आसानी से अपनी जीत दर्ज करेगी। बता दें कि समाजवादी पार्टी सांसद अमर सिंह के निधन के बाद यह उप-चुनाव आवश्यक हो गया था।
लेकिन, 245 सदस्यीय उच्च सदन में बीजेपी को दो तिहाई यानी 164 सीट के आंकड़े तक पहुंचने के प्रयास में बड़ी बढ़त नवंबर में होगी, जब उत्तर प्रदेश के 10 राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल खत्म हो जाएगा और वहां पर दोबारा चुनाव कराए जाएंगे।
वर्तमान में बीजेपी के पास 86 राज्यसभा सांसद सदस्य है और सहयोगी दलों की मदद से यह आंकड़ा बढ़कर 113 पर पहुंच जाता है। उत्तर प्रदेश से राज्यसभा में 31 सदस्य भेजे जाते हैं जो देश में बाकी राज्यों से सबसे ज्यादा है।
403 सदस्यीय यूपी विधानसभा में वर्तमान में 395 का संख्या बल है। बीजेपी के पास यहां 305 विधायक का संख्या बल है। ऐसे में नवंबर में होनेवाले राज्यसभा चुनाव में बीजेपी यहां की 10 में से 8 सीटें सीधे जीत दर्ज करने में सक्षम होगी जबकि 9वीं सीट अपने पाले में लाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करेगी।
राज्यसभा चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व और एकल हस्तांतरणीय वोट पर आधारित होते हैं जो यह सुनिश्चित करता है कि पहले दौर के बाद, अतिरिक्त वोट दूसरे दौर में शेष उम्मीदवार को स्थानांतरित हो जाता है।
11 सितंबर को होने वाले उप-चुनाव के लिए रिटर्निंग ऑफिसर बृज भूषण दूबे ने कहा, “राज्यसभा का चुनाव एक जटिल समीकरण के आधार पर होता है और यूपी विधानसभा की वर्तमान ताकत के अनुसार, वोटों का कोटा जो प्रत्येक सदस्य को नवंबर में एकमुश्त जीत के लिए आवश्यक होगी वह 37 के आसपास होगा”
उत्तर प्रदेश विधानसभा में बीजेपी 305 सीटों के साथ पहले स्थान पर, 48 विधायकों के साथ समाजवादी पार्टी दूसरे नंबर पर, 18 सीट के साथ बहुजन समाज पार्टी तीसरे, बीजेपी की सहयोगी अपना दल के पास 9 विधायक, कांग्रेस के पास 7, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी 4, राष्ट्रीय लोक दल-1 और 3 निर्दलीय हैं।
दूबे ने बताया, यूपी विधानसभा में 8 सीट खाली है और अगर इन सीटों पर नवंबर से पहले चुनाव कराया जाता है तो प्रति उम्मीदवार वोटों का समीकरण थोड़ा बढ़ जाएगा लेकिन अगर नहीं कराया जाता है तो जीतने के लिए करीब 37 वोटों की आवश्यकता होगी।
उत्तर प्रदेश विधानसभा के वर्तमान आंकड़ों के हिसाब से अगर यूपी विधानसभा उप-चुनाव नहीं कराया जाता है तो प्रत्येक पार्टी के उम्मीदवार को जीतने के लिए 37 वोट की आवश्यकता होगी। इस आधार पर बीजेपी 305 विधायक (वर्तमान संख्या बल) के हिसाब से 8 सीट जीत जाएगी और सहयोगी अपना दल (9 विधायक) को साथ लेकर वह अतिरिक्त 9वीं सीट जीतने की कोशिश करेगी।