वॉशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विरूद्ध नागरिक अधिकारों के हनन के मामले में में केस दर्ज किया गया है।
केस दर्ज कराने वाले अमेरिकी संगठनों का कहना है कि नागरिकों का प्रदर्शन करना उनका संवैधानिक अधिकार है। ऐसे में प्रदर्शनकारियों पर स्मोक बम या आंसू गैस के गोले दागने का मतलब उन पर हमला किया है। अमेरिकन सिविल लिबर्टीज़ यूनियन और दूसरे समूहों ने कहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप और टॉप के अधिकारियों को प्रदर्शनकारियों और ब्लैक लाइव्स मैटर के कैंपेनर्स के संविधानिक अधिकारों का हनन किया है। प्रदर्शनकारियों पर इस कार्रवाई के बाद ट्रंप की देश में खूब आलोचना हो रही है।
दरअसल बीते सोमवार को जब ट्रंप व्हाइट हाउस के पास एक चर्च के सामने बाइबिल के साथ फोटो खिंचाने जा रहे थे। इसी दौरान वहां ब्लैक लाइव्स मैटर के इकट्ठा हुए प्रदर्शनकारियों को पीछे धकेलने के लिए उनपर आंसू गैस के गोले छोड़े, रबर बुलेट्स चलाए और साउंड बम छोड़े।इस कार्रवाई के बाद पूरे अमेरिका में विरोध प्रदर्शन और तेज हो गए हैं।
प्रदर्शनकारियों के लीगल डायरेक्टर स्कॉट मिशेलमेन के मुताबिक राष्ट्रपति को प्रदर्शनकारियों के विचारों से असहमति है, ऐसे में उनका ऐसा क्रिमिनल एक्शन लेना दिखाता है कि यह हमारे संविधान का कितना बड़ा हनन है।