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लॉकडाउन में व्यथा की कहानी : कल्याण की टैम्पो की किश्त अटकी, मोनिका को राशन नहीं मिल रहा, शंकर मास्क बेच रहा, अधिकारी निर्देश लागू करवा रहे

@ विनोद भगत 

काशीपुर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन तीन मई तक बढ़ाने की घोषणा करते समय स्वीकार किया था कि लोगों को कष्ट सहना पड़ रहा है। और यह भी कहा कि सरकार लोगों की परेशानी कम करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दे रही है। लॉकडाउन बढ़ाने से देश में कोरोना वायरस की रोकथाम में मदद मिलेगी। लेकिन आम जनता की मदद क्या वास्तव में हो रही हैं। 

शब्द दूत ने लॉकडाउन 2 के बाद कुछ ऐसे ही लोगों से बात की जो कि लॉकडाउन की वजह से दिक्कतें झेल रहे हैं। घरों में काम कर के परिवार पालने वाली मोनिका रावत को राशन नहीं मिल रहा है वह तीन दिनों से मुख्यमंत्री खाद्यान्न राहत के लिए चक्कर लगा रही है। रानीखेत की रहने वाली मोनिका अपने पति और बच्चों के साथ काशीपुर में रहती। पति गाड़ी चलाते हैं और वह खुद घरों में काम कर परिवार गाड़ी चलाने में मदद करती है। अपने वार्ड में जब वह मुख्यमंत्री खाद्यान्न योजना का राशन लेने गयी तो उसे राशन कार्ड मांगा गया। मोनिका ने बताया कि उसका राशन कार्ड रानीखेत में है। ऐसे में उसे यह राहत नहीं मिल रही। हालांकि बिना राशन कार्ड के लोगों को राशन देने की बात कही गई है। पर मोनिका को आज तक खाद्यान्न नहीं मिल पाया।

उधर नई बस्ती निवासी कल्याण सिंह टैम्पो चलाकर अपने परिवार का गुजारा करते हैं। टैम्पो भी उन्होंने फाइनेंस करवाया है। बच्चों का पेट पालने के साथ उन्हें टैम्पो की किश्त भी भरनी है। ऐसे में उनके सामने गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। लेकिन वह अपने मकान मालिक मनोज भंडारी का आभार जताते हैं। मनोज भंडारी ने उनका किराया माफ कर उन्हें कुछ राहत दी है। पर सरकारी राहत का उन्हें इंतजार है।

कटरामालियान निवासी शंकर चाट का ठेला लगाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। लॉकडाउन में चाट का ठेला तो नहीं लगा सकते। मजबूरन एक डंडे पर मास्क और ग्लव्ज बेचने के लिए सड़कों पर घूम रहे हैं। शब्द दूत को शंकर ने बताया कि एक बजे तक उनके छह सात मास्क और ग्लव्ज बिक पाते हैं। 15 से 20 रूपये एक मास्क बिक रहा है। लॉकडाउन में परिवार पालना टेढ़ी खीर हो गई है। 

ऐसे तमाम लोग हैं जिनके सामने सरकार के लॉकडाउन के आदेशों का पालन करना है। हालांकि सरकार के निर्देश उनकी बेहतरी के लिए हैं। पर अधिकारी सरकार के निर्देशों का पालन तो सख्ती से करा रहे हैं। लेकिन लोगों को राहत देने के निर्देश के नाम पर स्थानीय अधिकारी भी सिर्फ आदेश पारित कर रहे हैं। कुछ फोटो खिंचवा कर सरकार के निर्देशों की खानापूर्ति कर रहे हैं।

 

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