Breaking News

जनरल बिपिन रावत पहले चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ़ के रूप में बॉस नहीं होंगे

@शब्ददूत ब्यूरो

जनरल बिपिन रावत देश के पहले चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ़ (सीडीएस) नियुक्त किए गए हैं। सीडीएस का काम सेना, नौसेना और वायुसेना के कामकाज में बेहतर तालमेल बिठाना और देश की सैन्य ताक़त को और मज़बूत करना होगा।

सरकारी आदेश के मुताबिक़ सीडीएस के पद पर जनरल रावत की नियुक्ति 31 दिसंबर, 2019 से प्रभावी होगी। जनरल रावत तीन साल पहले सेना प्रमुख बने थे। तीन साल तक सेना प्रमुख रहे जनरल रावत पाकिस्तान, चीन और पूर्वोत्तर में भारत की सीमारेखा पर ज़िम्मेदारियां संभाल चुके थे। रिटायरमेंट की आयु 65 वर्ष करने के बाद अब जनरल रावत अगले तीन साल तक सीडीएस के पद पर बने रह सकते हैं।

अपने कार्यकाल के दौरान कई ऐसी चीज़ें हैं जो सीडीएस जनरल बिपिन रावत करेंगे लेकिन साथ ही ऐसी भी कुछ चीज़ें हैं जो वो नहीं कर सकेंगे।

रक्षा मंत्री के प्रमुख सेना सलाहकार के तौर पर तीनों सेनाओं के मामले उनके अधीन होंगे। उसके पास डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (डीएसी) और डिफेंस प्लानिंग कमिशन (डीपीसी) जैसे महत्वपूर्ण रक्षा मंत्रालय समूहों में उनकी जगह होगी। रक्षा मंत्रालय में सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) के सचिव के रूप में इसके प्रमुख होंगे- यह रक्षा मंत्रालय का 5वां और सबसे नया विभाग होगा।

उन्हें वेतन और अतिरिक्त सुविधाएं किसी भी अन्य सेना प्रमुख की तरह ही मिलेंगी हालांकि, वे 65 साल की आयु में रिटायर होंगे जबकि सेना के बाक़ी तीनों अंगों के प्रमुख 62 साल की उम्र में रिटायर होते हैं।

वे संयुक्त ख़रीद, प्रशिक्षण और रिक्तियां भरने को प्रोत्साहित करेंगे और बुनियादी ढांचों के सबसे बेहतरीन उपयोग को सुनिश्चित करेंगे। ‘जॉइंट/थिएटर कमांड’ की स्थापना करके सैन्य कमांडों के पुनर्गठन को सुगम बनाएंगे।

वे अंडमान-निकोबार, स्ट्रैटजिक फोर्स कमांड, अंतरिक्ष, साइबर और स्पेशल फोर्स कमांड जैसी ट्राइ-सर्विस एजेंसी/कमांड के प्रमुख होंगे और चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ कमेटी (सीओएससी) के स्थायी अध्यक्ष रहेंगे।

न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी (एनसीए) के सैन्य सलाहकार के रूप में कार्य करेंगे। वे ‘पंचवर्षीय रक्षा पूंजी अधिग्रहण योजना (डीसीएपी) और द्विर्षीय रोल ऑन वार्षिक अधिग्रहण योजना (एएपी) समेत नई संपत्ति हासिल करने के प्रस्ताव को प्रत्याशित बजट और तीनों सेना की प्राथमिकताओं के आधार पर तय करेंगे।

सेना में फ़ालतू ख़र्च कम करेंगे. सुधार करेंगे, और व्यक्तिगत, व्यवस्था से संबंधित मामलों से ऊपर उठ कर राजनीतिक नेतृत्व को निष्पक्ष सलाह देंगे।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास, रक्षा उत्पादन या भूतपूर्व सैनिक कल्याण या रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले असैन्य नौकरशाह उनके ऑफ़िस के दायरे में आएगें? इन विभागों के लिए अलग अलग सचिव हैं तो उस लिहाज़ से सीडीएस पांचवें सचिव हैं। व्यक्तिगत सेवाओं और उनके मुद्दों को देखेंगे। यह सर्विस चीफ़ का कार्यक्षेत्र है जिनके पास रक्षा मंत्री के लिए अलग से एक लाइन होगी।

उनके पास सेना, नौसेना या वायु सेना जैसी कोई कोई व्यक्तिगत कमान या सर्विस नहीं होगी।सीडीएस न ही तीनों सेना प्रमुखों को कोई आदेश देगा और न ही कोई सैन्य आदेश। मूल रूप से वे तीनों सेना प्रमुखों के बॉस नहीं होंगे। बल्कि, जैसा कि बताया गया है, वे उन तीनों के बराबर ही होंगे।

सेवा विशिष्ट अधिग्रहण योजना, ख़ास कर पूंजी अधिग्रहण (नए हार्डवेयर) को सीडीएस न तो रोक सकता है और न ही इसमें बाधा डाल सकता है। हालांकि वे प्राथमिकताएं दे सकते हैं और उन्हें अधिग्रहण योजनाओं को जैसे बताया गया वैसे लागू करना होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को लाल क़िले से चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ़ (सीडीएस) की नियुक्ति की घोषणा की थी। यह लंबे समय से चली आ रही एक प्रशासनिक नियुक्ति है जिसकी वकालत पूर्व कैबिनेट सचिव नरेश चंद्र की अध्यक्षता वाली समिति ने 1990 में दोहराया था। पीएम की उस घोषणा के बाद सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने सीडीएस का पद बनाए जाने की मंजूरी दी।जनरल बिपिन रावत के सेना प्रमुख के पद से निवृत होने के बाद जनरल मनोज मुकुंद नरावणे ने 31 दिसंबर 2019 से सेना प्रमुख का कार्यभार ग्रहण कर लिया है।

Website Design By Mytesta +91 8809666000

Check Also

एक्सक्लूसिव:बार बार बर्फबारी से केदारनाथ धाम मार्ग हो रहा बाधित,विषम परिस्थितियों में काम कर रहे विभागीय कर्मचारी,एक माह से भी कम समय है यात्रा शुरू होने में, देखिए वीडियो

🔊 Listen to this @शब्द दूत ब्यूरो (24 मार्च 2023) रूद्रप्रयाग। ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग बाबा केदारनाथ …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *