@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (25 मई, 2022)
कश्मीरी अलगाववादी यासीन मलिक को टेरर फंडिंग केस में अदालत ने उम्रकैद की सज़ा दी है। हालांकि एनआईए की तरफ से आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में दोषी कश्मीरी अलगाववादी नेता को मृत्युदंड दिए जाने की मांग अदालत में की गयी थी।
मलिक को सेक्शन 121 में उम्रकैद की सज़ा हुई है साथ ही यूएपीए के सेक्शन 17 में भी उम्रकैद की सजा सुनाई गयी है। अदालत ने कहा है कि दोनों ही सजा साथ-साथ चलेगी। अदालत ने मालिक पर 10 लाख 70 हज़ार का जुर्माना भी लगाया है। एनआईए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने 19 मई को मलिक को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोपों में दोषी ठहराया था।
बताते चलें कि मलिक ने अदालत में कहा था “1994 में हथियार छोड़ने के बाद मैंने महात्मा गांधी के सिद्धांतों का पालन किया है और तब से मैं कश्मीर में अहिंसक राजनीति कर रहा हूं।” कोर्ट रूम में यासीन ने कहा कि “28 सालो में अगर मैं कही आतंकी गतिविधि या हिंसा में शामिल रहा हूं इंडियन इंटेलिजेंस अगर ऐसा बता दे तो मैं राजनीति से भी संन्यास ले लूंगा, फांसी मंजूर कर लूंगा।” मलिक ने कहा कि उन्होनें सात प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है।