गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा के बाद पुलिस दिल्ली बॉर्डर खाली करवाने की कोशिश की। प्रशासन की सख्ती के बीच भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत अपनी मांग पर अड़े रहे और उन्होंने भावुक होकर दो टूक कहा कि वह आत्महत्या कर लेंगे लेकिन आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे। उनके रोने का वीडियो भी सामने आया। देखते ही देखते यह वीडियो पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत कई जिलों के गांवों में तेजी से फैलने लगा और किसानों ने उनका समर्थन करने का फैसला किया। आइये जानते हैं टिकैत किसानों से कैसे जुड़े।
राकेश टिकैत को किसानों का साथ विरासत में मिला है। उनके पिता महेंद्र सिंह टिकैत भी किसान नेता ही थे। ये परिवार कई दशकों से किसानों के हकों की लड़ाई लड़ता रहा है। बताया जाता है कि किसानों के अधिकारों की लड़ाई में अग्रसर रहने वाले टिकैत 44 बार जेल जा चुके हैं।
मध्यप्रदेश के भूमि अधिकरण कानून के खिलाफ आंदोलन के चलते राकेश टिकैत 39 दिनों तक जेल में रहे थे। इसके साथ ही किसानों के गन्ना मूल्य बढ़ाने के लिए भी उन्होंने संसद भवन के बाहर प्रदर्शन किया था तो उन्हें तिहाड़ भेजा गया था। उस समय राकेश टिकैत ने संसद भवन के बाहर ही गन्ना जला दिया था। इसके अलावा भी भी राकेश टिकैत किसानों की मांगों के लिए आंदोलन करते रहे हैं।
राकेश टिकैत की व्यक्तिगत जिंदगी की बात करें तो वह तीन बच्चों के पिता है। राकेश टिकैत की शादी 1985 में बागपत जिले के दादरी गांव की सुनीता से हुई। तीनों बच्चों (एक बेटा दो बेटियां) का विवाह हो चुका है। राकेश टिकैत ने मेरठ यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई करने के बाद एलएलबी भी किया है। राकेश टिकैत को 2014 में यूपी की अमरोहा सीट से राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजीत सिंह लोकसभा प्रत्याशी बनाया, जिसमें वह हार गए थे।
राकेश टिकैत 1992 में कांस्टेबल के पद पर नौकरी किया करते थे। पिता का राकेश पर काफी प्रभाव था। 1993- 94 में लालकिले पर पिता महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का आंदोलन चल रहा था तो उन्होंने भी इसमें हिस्सा लिया था। जब सरकार ने आंदोलन खत्म करने का दबाव बनाया तो ये भी अपनी पुलिस की नौकरी छोड़ किसानों के साथ खड़े हो गए थे।
राकेश टिकैत के पिता महेंद्र टिकैत की मौत कैंसर से हुई थी। पिता की मौत के बाद उनके बड़े बेटे नरेश टिकैत को भारतीय किसान यूनियन का अध्यक्ष बनाया गया। इसके पीछे वजह ये है कि कि बालियान खाप के नियमों के अनुसार- बड़ा बेटा ही मुखिया होता है। ऐसे में नरेश टिकैत अध्यक्ष हैं, लेकिन किसान यूनियन की असल कमान राकेश टिकैत के हाथ में ही है। सभी अहम फैसले राकेश टिकैत ही लेते हैं। नरेश टिकैत अध्यक्ष है तो वहीं राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता है।