@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (25 मई, 2022)
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इस समय लंदन यात्रा पर हैं। उन्होंने वहां विभिन्न कार्यक्रमों में शिरकत की है। सूत्रों के मुताबिक, राहुल ने लंदन यात्रा से पहले विदेश मंत्रालय से राजनीतिक मंजूरी नहीं ली है। विदेश यात्रा से पहले सांसदों को विदेश मंत्रालय से राजनीतिक मंजूरी लेना आवश्यक होता है। इसके लिए यात्रा के कम से कम तीन हफ्ते पहले वेबसाइट पर जानकारी डाल कर विदेश मंत्रालय की मंजूरी लेनी होती है।
यही नहीं, सभी सांसदों को विदेशी सरकारों, संस्थाओं आदि से मिलने वाले निमंत्रण विदेश मंत्रालय के जरिए मिलने चाहिए और अगर उन्हें सीधे निमंत्रण मिलता है तो उसे विदेश मंत्रालय के ध्यान में लाना होगा और राजनीतिक मंजूरी लेनी होगी। सभी सांसदों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि वे विदेश यात्रा पर जाने से पहले विदेश मंत्रालय की राजनीतिक मंजूरी लें।
उधर कांग्रेस ने मीडिया में आई खबरों पर निशाना साधते हुए कहा कि सांसदों को इस तरह की राजनीतिक मंजूरी की जरूरत नहीं है। पार्टी ने इसके लिए पीएमओ की ओर से विभिन्न चैनलों को भेजे गए व्हाट्सएप सुझावों को जिम्मेदार ठहराया।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, “सांसदों को प्रधानमंत्री या सरकार से राजनीतिक मंजूरी की जरूरत नहीं है जब तक कि वे आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा न हों। कृपया टीवी चैनलों को भेजे गए पीएमओ के व्हाट्सएप सुझावों का आंखें मूंदकर पालन न करें।”
गौरतलब है कि अपनी इस विदेश यात्रा के दौरान राहुल ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। कार्यक्रम में अपने संबोधन में राहुल ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ऐसे भारत की परिकल्पना गढ़ रहे हैं जिसमें देश की जनसंख्या के सभी हिस्से शामिल नहीं हैं। यह भारत के विचार के खिलाफ है।
प्रतिष्ठित ‘कैंब्रिज विश्वविद्यालय’ में ‘इंडिया एट 75′ नामक एक कार्यक्रम के दौरान ‘भारतीय मूल की शिक्षाविद डॉ. श्रुति कपिला के साथ बातचीत में राहुल गांधी हिंदू राष्ट्रवाद और कांग्रेस पार्टी में गांधी परिवार की भूमिका और देश लोगों को संगठित करने के प्रयासों जैसे व्यापक विषयों पर विचार व्यक्त किए थे।