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केंद्र ने पंजाब सरकार के लिए खड़ी की मुश्किल, किसानों को फसलों के भुगतान के लिए कड़े किए नियम

@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो

केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार के लिए एक और मुश्किल खड़ी कर दी है। तीन कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के विरोध के बीच केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के लिए फसलों के भुगतान के लिए नए निर्देश जारी किए हैं। केंद्र सरकार ने कहा है किसानों को फसलों का भुगतान सीधे उनके खाते में किया जाए। इसके साथ ही किसानों को फसल बेचने वाले किसानों को अपनी जमीन का भी ब्‍याेरा देना होगा। केंद्र सरकार की इस कदम के खिलाफ पंजाब आढ़ती एसोसिएशन (कालड़ा ग्रुप) ने एक अप्रैल से हड़ताल करने का एलान किया है।

केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय ने एक के बाद एक लगातार दो पत्र जारी करके पंजाब सरकार से कहा है कि किसानों को उनकी फसल की खरीद का भुगतान सीधा उनके बैंक खातों में किया जाए। अभी यह व्यवस्था है कि किसानों को भुगतान आढ़तियों के माध्यम से किया जाता है। इसके साथ ही एक और पत्र जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि अनाज खरीद पोर्टल पर फसल बेचने वाले किसान अपना जमीन का रिकार्ड भी देंगे। ऐसे में पंजाब सरकार के लिए किसानाें को सीधे भुगतान का मुद्दा पंजाब सरकार के गले की फांस बन सकता है।

यह भी कहा गया कि इस रिकार्ड को मंत्रालय के पास भेजा जाए ताकि वे एफसीआई के माध्यम से जब कभी चाहें तो इसे वेरिफाई भी करवा सकें। एफसीआई ने एक पत्र जारी करके कहा है कि राज्य सरकार रबी सीजन शुरू होने से पहले पहले अपने एपीएमसी एक्ट 1961में बदलाव करे।

फिलहाल केंद्र व राज्य की खरीद एजेंसियां फसल खरीद का काम आढ़तियों के माध्यम से करती हैं। किसान फसल को अपने आढ़ती के पास लाते हैं और आढ़ती फसल की सफाई आदि की व्यवस्था करते हैं। खरीद एजेंसियों की ओर से खरीदे जाने वाले अनाज का भुगतान आढ़तियों को उनके बिल भेजने पर कर दिया जाता है और आढ़ती किसानों के खातों में आनलाइन अदायगी करते हैं। यह व्यवस्था कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने तीन साल पहले एपीएमसी में संशोधन करके की थी। इससे पहले भी किसानों को सीधी अदायगी का मुद्दा काफी गरमाया रहा है।

अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के समय हाई कोर्ट ने भी किसानों को चेक से फसल की अदायगी करने का आदेश दिया था। आढ़तियों ने इसका विरोध किया तो तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने बीच का रास्ता निकालते हुए कहा था कि यह फैसला किसानों पर छोड़ दिया जाना चाहिए कि वह एजेंसी से भुगतान लेना चाहते हैं या आढ़ती से।

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