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जानिए देश की दूसरी सबसे बड़ी नंदा देवी चोटी और उसके ग्लेशियरों के बारे में

@शब्द दूत ब्यूरो

उत्तराखंड के चमोली जिले में 7 फरवरी को आई तबाही के पीछे देश की दूसरी सबसे ऊंची चोटी नंदा देवी ग्लेशियर है। जोशीमठ के पास इस ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटकर धौलीगंगा नदीं में गिरा, इसकी वजह से ऋषिगंगा नदी में तेज सैलाब आया। पावर प्रोजेक्ट बर्बाद हुआ। कई लोगों की जान चली गई।

नंदा देवी ग्लेशियर नंदा देवी पहाड़ पर स्थित है। कंचनजंघा के बाद यह देश की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है। यह गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में आता है। चमोली जिले में स्थित नंदा देवी ग्लेशियर के पश्चिम में ऋषिगंगा नदी और पूर्व में गौरीगंगा घाटी है।

यहां दो बड़े ग्लेशियर है। उत्तरी नंदा देवी और दक्षिणी नंदा देवी। दोनों की लंबाई 19 किलोमीटर है। इनकी शुरूआत नंदा देवी की चोटी से ही हो जाती है जो इधर-उधर फैलते हुए नीचे घाटी तक आती हैं। नंदा देवी ग्लेशियर से पिघलकर जो पानी ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों से बहता है, वह आगे चल कर अलकनंदा नदी में मिल जाता है।

नंदा देवी ग्लेशियर कई ग्लेशियरों का मिश्रण है। यहां पर सात अलग-अलग ग्लेशियर मिलकर नंदा देवी ग्लेशियर को बनाते हैं। इन ग्लेशियरों के नाम हैं- बारतोली, कुरुर्नटोली, उत्तरी नंदा देवी, दक्षिणी नंदा देवी, नंदाकिनी, रमाणी और त्रिशूल।

इनमें से नंदा देवी नॉर्थ (उत्तरी ऋषि ग्लेशियर) और साउथ (दक्षिणी नंदा देवी ग्लेशियर) दोनों की लंबाई 19 किलोमीटर है। इनकी शुरूआत नंदा देवी की चोटी से ही होती है। ये समुद्र तल से 7108 मीटर ऊपर है। ये दोनों ही ग्लेशियर और चोटी देश और उत्तराखंड की कई नदियों का स्रोत है। नंदा देवी चोटी को उत्तराखंड की देवी की तरह पूजा जाता है। यहां हर साल धार्मिक यात्राएं भी निकलती हैं। उनमें से नंदा राजजात यात्रा बहुत प्रसिद्ध है।

नंदा देवी ग्लेशियर के समूह ग्लेशियरों पर साल में एक सीमित समय के दौरान ट्रैकिंग भी होती है। नंदा देवी पहाड़ की दो चोटियां हैं। पश्चिमी चोटी ऊंची है। पूर्वी चोटी को नंदा देवी ईस्ट यानी सुनंदा देवी कहते हैं। सुनंदा देवी छोटी है। इन दोनों चोटियों के बीच 2 किलोमीटर लंबा रिज है। नंदा देवी के चारों तरफ 12 चोटियां और बेहद गहरी और सीधी घाटियां हैं, जो इसे सुरक्षा प्रदान करती है।

नंदा देवी की चढ़ाई अत्यधिक कठिन मानी जाती है। इस चोटी के नीचे पूर्वी तरफ नंदा देवी सैंक्चुरी है। यहां कई प्रजातियों के जीव-जंतु रहते हैं। इसकी सीमाएं चमोली, पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिलों से जुड़ती हैं। नंदा देवी की कुल ऊंचाई 7816 मीटर यानी 25,643 फीट है।

नंदा देवी पहाड़ के उत्तरी तरफ उत्तरी नंदा देवी ग्लेशियर है। यह उत्तरी ऋषि ग्लेशियर से जुड़ती है। दक्षिण की तरफ दक्षिणी नंदा देवी ग्लेशियर है जो दक्षिणी ऋषि ग्लेशियर से जुड़ती है। इन्हीं दोनों ग्लेशियरों का पानी ऋषिगंगा नदीं में जाता है। पूर्व की तरफ पाचू ग्लेशियर है, दक्षिण पूर्व की तरफ नंदाघुंटी और लावन ग्लेशियर हैं, इन सबका पानी बहकर मिलम घाटी में जाता है। दक्षिण में स्थित पिंडारी ग्लेशियर का पानी पिंडर नदी में जाता है।

नंदा देवी चोटी पर चढ़ाई के लिए कई प्रयास किए जा चुके हैं। पहला प्रयास 1930 में ह्यूह रटलेज ने किया। उन्होंने तीन बार इस पर फतह हासिल करने की कोशिश की लेकिन विफल रहे। इसके बाद 1934 में ब्रिटिश एक्सप्लोर्स ने शेरपाओं की मदद से इस पर चढ़ाई के लिए ऋषि दर्रे की खोज की। 1936 में ब्रिटिश-अमेरिकी पर्वतारोहियों ने इस पर विजय हासिल की।

1960 से लेकर 1973 तक नंदा देवी पर चढ़ाई बंद थी, क्योंकि यहां पर चीन के मिसाइल प्रोग्राम की जानकारी लेने के लिए अमेरिका ने भारत सरकार के साथ मिलकर एक परमाणु ऊर्जा से चलने वाले टेलीमेट्री रिले लिस्निंग डिवाइस लगाने की कोशिश की थी, लेकिन विफल रहे थे। 1974 में इसे वापस खोला गया। अब यहां लोग ट्रैकिंग के लिए जाते हैं।

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