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जानिए कौन था अल जवाहिरी? जो बना सर्जन से दुनिया का बड़ा आतंकी सरगना, 25 मिलियन डॉलर का था इनाम

@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (02 अगस्त, 2022)

अल-कायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी को 71 साल की उम्र में अमेरिका ने मार गिराया। ओसामा बिन लादेन को मारने के 11 साल बाद जवाहरी मारा गया है। अमेरिका ने उस पर 25 मिलियन डालर का इनाम रखा था।

अयमान अल जवाहिरी का जन्म 19 जून 1951 को मिस्र के एक संपन्न परिवार में हुआ था। अरबी और फ्रेंच बोलने वाला जवाहिरी पेशे से सर्जन था, जो 14 साल की उम्र में मुस्लिम ब्रदरहुड का सदस्य बन गया। साल 1978 में उसने काहिरा विश्वविद्यालय की फिलॉसफी छात्रा अजा नोवारी से शादी कर ली।

जवाहिरी ने इजिप्शियन इस्लामिक जिहाद यानी ईआइजे का गठन किया था। इस संगठन ने 1970 के दशक में मिस्र में सेक्युलर शासन का विरोध किया. उसकी मांग थी कि मिस्र में इस्लामिक हुकूमत कायम हो। साल 1981 में मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात की हत्या के बाद जवाहिरी को गिरफ्तार कर प्रताड़ित किया गया। मिस्र में तीन साल जेल में वह सऊदी अरब भाग गया और यहां पर मेडिसिन विभाग में प्रैक्टिस करने लगा।

सऊदी में ही अल जवाहिरी की मुलाकात 1985 में अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन से हुई। यहीं से दोनों आतंकियों के बीच रिश्ता मजबूत होने लगा। इसके बाद 2001 में अल जवाहिरी ने ईआइजे का अलकायदा में विलय कर लिया और दौनों दुनिया को दहलाने की साजिश रचने लगे।

जवाहिरी ने अमेरिकी हमले में ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद संगठन की कमान अपने हाथ में ली थी। 2011 में वह अलकायदा का प्रमुख बन गया था। दुनिया भर में कई जगह हुए आतंकी हमलों के पीछे उसका हाथ माना जाता है।

अमेरिका का आरोप है कि 11 सितंबर 2001 को 19 आतंकियों ने चार कमर्शियल प्लेन हाइजैक किए थे। इनमें से दो प्लेन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के नॉर्थ और साउथ टावर से टकरा दिए गए थे। इस हमले में 93 देशों के 2977 लोग मारे गए थे। हमला आतंकी संगठन अलकायदा ने किया था। अमेरिका का आरोप है कि इसमें ओसामा बिन लादेन की अल-जवाहरी ने ममद की थी।
अल- जवाहिरी अभी 71 वर्ष का हो गया था। अमेरिका द्वारा ओसामा बिन लादेन को मारने के 11 साल बाद आतंकी सरगना को अमेरिका ने ओसामा की तरह ही मार गिराया है।

7 अगस्त 1998 को, नैरोबी, केन्या में अमेरिकी दूतावासों के सामने और अफ्रीका में तंजानिया के डार एस सलाम के सामने लगभग एक साथ बम उड़ाए गए – विस्फोटों में 224 लोग मारे गए, जिनमें 12 अमेरिकी शामिल थे, और 4,500 से अधिक लोग घायल हुए थे। इसके पीछे जवाहरी का हाथ था।

अल जवाहिरी को 1998 में, 7 अगस्त 1998 को दार एस सलाम, तंजानिया और नैरोबी, केन्या में संयुक्त राज्य के दूतावासों की बमबारी में उनकी कथित भूमिका के लिए दोषी ठहराया गया था।

मई 2003 में सऊदी अरब के रियाद में एक साथ आत्मघाती बम विस्फोटों में नौ अमेरिकियों सहित 23 लोगों की मौत हो गई थी। इसके कुछ दिनों बाद एक टेप जारी किया गया था, जिसमें जवाहिरी की आवाज शामिल थी।
जवाहिरी का ठिकाना लंबे समय से एक रहस्य बना हुआ था। 2020 के अंत से अफवाहें फैल रही थीं कि अल-जवाहिरी की बीमारी से मृत्यु हो गई।

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