नई दिल्ली। नए कृषि कानून और किसानों के आंदोलन के मुद्दे पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के रवैये से नाराज होकर राजस्थान में बीजेपी की सहयोगी रही राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) छोड़ दिया है। आरएलपी के अध्यक्ष हनुमान प्रसाद बेनीवाल ने खुद इसका एलान किया। पिछले चार महीनों में एनडीए छोड़ने वाली यह चौथी पार्टी है। इससे पहले सितंबर में किसानों के मुद्दे पर ही बीजेपी के सबसे पुराने साथी शिरोमणि अकाली दल ने एनडीए छोड़ दी थी। मोदी सरकार में मंत्री रहीं हरसिमरत कौर ने किसानों के मुद्दे पर इस्तीफा दे दिया था।
इसके बाद अक्टूबर में पीसी थॉमस की अगुवाई वाली केरल कांग्रेस ने भी एनडीए का साथ छोड़ दिया। दिसंबर आते-आते असम में बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट ने भी एनडीए का साथ छोड़ दिया। 2014 के मुकाबले अब एनडीए में मात्र 16 दल रह गए हैं। हालांकि, कुछ दल ऐसे हैं जो हालिया में एनडीए में शामिल हुए हैं। ऐसे दलों में बिहार में जीतन राम मांझी की हम, मुकेश साहनी की वीआईपी शामिल है। इसी तरह असम में प्रमोद बोरो की पार्टी यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी ने हाल ही में बीटीसी चुनावों के बाद बीजेपी के साथ गठबंधन किया है।
मार्च 2018 में एनडीए को तब बड़ा झटका लगा था, जब उसकी बड़ी सहयोगी पार्टी तेलगु देशम ने साथ छोड़ दिया। इस पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू ने मोदी सरकार पर आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देने पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया था। इसके बाद उसी साल पश्चिम बंगाल में बीजेपी की सहयोगी रही गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने भी एनडीए से नाता तोड़ लिया। इसी साल कर्नाटक प्रज्ञानवथा पार्टी ने भी एनडीए से अलग राह पकड़ ली. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार में मंत्री उपेंद्र कुशवाहा (आरएलएसपी) ने भी एनडीए को छोड़ दिया। उत्तर प्रदेश में ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने भी लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए और योगी मंत्रिमंडल छोड़ दी थी।