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मुफ्त सुविधाएं देकर भी केजरीवाल सरकार का खजाना है मजबूत

@शब्ददूत ब्यूरो

नई दिल्ली। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जबरदस्त जीत के बाद विपक्षी धड़ा दिल्ली वालों को मुफ्तखोर तक कहने लगा है और सोशल मीडिया पर ऐसी बातें चल रही हैं कि केजरीवाल सरकार ने टैक्सपेयर्स का पैसा लुटाकर जनता को भरमा लिया है। लेकिन इसे आप केजरीवाल सरकार का कौशल कहें या बाजीगरी, सच तो यह है कि तमाम फ्री सेवाओं और योजनाओं के बावजूद पिछले पांच साल में आम आदमी पार्टी के शासन में दिल्ली सरकार का खजाना मजबूत रहा है और जीडीपी के लिहाज से दिल्ली देश के सबसे तेजी से बढ़ने वाले राज्यों में से है।

आम आदमी पार्टी के शासन में दिल्ली ने न सिर्फ तेज बढ़त की है, बल्कि उसने राष्ट्रीय जीडीपी में अपना हिस्सा भी बढ़ाया है। दिल्ली के सकल घरेलू उत्पाद यानि जीडीपी में पिछले पांच साल में 11.8 फीसदी की बढ़त हुई है। गौरतलब है कि 2020 विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी की जबरदस्त जीत के बाद अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आप सरकार बनने जा रही है। आम आदमी पार्टी इस चुनाव में 62 सीटें जीतने में कामयाब हुई है।

दिल्ली में 200 यूनिट तक की बिजली को केजरीवाल सरकार ने फ्री कर दिया है। इसके पहले 400 यूनिट बिजली के बिल में दिल्ली सरकार 50 प्रतिशत तक छूट देती थी। तब 1600-1700 करोड़ रुपये की सब्सिडी सरकार को बिजली कंपनियों को देनी पड़ती थी। इन उपभोक्ताओं के लिए फिक्स्ड चार्ज भी हटा दिया गया है। बताया जा रहा है कि अब बिजली के लिए सरकार से मिलने वाली सब्सिडी का आंकड़ा ढाई हजार करोड़ रुपये सालाना पहुंच जाएगा।

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में वर्ष 2018-19 में दो सौ यूनिट के बिजली उपभोक्ताओं की संख्या 26 लाख थी, वहीं दौ सौ से चार सौ यूनिट वाले उपभोक्ताओं की संख्या 14 लाख थी। दिल्ली में कुल 47 लाख घरेलू बिजली उपभोक्ता हैं। 2018-19 में अरविंद केजरीवाल सरकार ने 1699 करोड़ रुपये सिर्फ बिजली की सब्सिडी के लिए जारी किए थे। पिछले 5 साल से बिजली की कीमतों में कोई बढ़त नहीं हुई। इसके अलावा दिल्ली में बिजली का बिल सबसे सस्ता है।

पानी पर करीब साढ़े चार सौ करोड़ रुपये सब्सिडी पहले से दी जा रही है। मुफ्त मेट्रो सफर की भी सुविधा शुरू हुई तो 1500 करोड़ से 2000 करोड़ रुपये की और सब्सिडी बढ़ेगी। डीटीसी व क्लस्टर बसों में महिलाओं को मुफ्त सफर कराने के एवज में दिल्ली सरकार साल में 140 करोड़ रुपये खर्च करेगी।

अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार का राजस्व यानी रेवेन्यू मुफ्त बिजली व पानी देकर भी सरप्लस (लाभ) में चल रहा है। उसे इन मुफ्त योजनाओं के लिए किसी तरह का कर्ज नहीं लेना पड़ा है। देश के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की हाल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2013-14 से लेकर 2017-18 तक दिल्ली सरकार रेवेन्यू सरप्लस में रही है।

आम आदमी पार्टी की सरकार ने श‍िक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च काफी बढ़ाया है। 2015-16 से 2019-20 के दौरान श‍िक्षा पर खर्च करने का बाकी पूरे देश का औसत जहां 14.8 फीसदी था, वहीं दिल्ली सरकार ने इस पर 25.3 फीसदी खर्च किया। इसी तरह इस दौरान चिकित्सा और जनस्वास्थ्य-परिवार कल्याण पर खर्च करने का देश का औसत जहां 4.9 फीसदी था, वहीं दिल्ली सरकार ने इस पर 12.5 फीसदी खर्च किया।

असल में आम आदमी पार्टी की सरकार पूंजीगत खर्च यानी कैपिटल एक्सपेंडीचर में कटौती कर पैसा श‍िक्षा और स्वास्थ्य के मौजूदा सुविधाओं पर खर्च कर रही है। कैपिटल एक्सपेंडीचर में कटौती का मतलब यह है कि नए स्कूल और अस्पताल जैसे बुनियादी ढांचा विकास का काम कम हो रहा है या उन पर कम पैसा खर्च हो रहा है। इसकी जगह सरकार मौजूदा अस्पतालों और स्कूलों को बेहतर बनाने पर ज्यादा जोर दे रही है। हालांकि, इसके बावजूद सड़कों और पुलों पर दिल्ली सरकार का खर्च बजट के फीसदी हिस्से में देखें तो राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है।

सरकार का यह भी दावा है कि उसने भ्रष्टाचार को खत्म कर पुलों, सड़कों आदि के निर्माण का खर्च काफी कम कर दिया है। तो यह नहीं कहा जा सकता कि आप सरकार जनता या टैक्सपेयर्स का पैसा बर्बाद कर रही है। ऐसा लगता है कि यह सरकार बजट का सही तरीके से प्रबंधन कर पैसे बचा रही है और उसे लोक कल्याणकारी कार्यों पर खर्च कर रही है।

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