@शब्द दूत ब्यूरो
देहरादून । केन्द्रीय मंत्री तथा हरिद्वार से भाजपा सांसद डा रमेश पोखरियाल निशंक एक बार फिर मुश्किल में हैं। उनके विरुद्ध दर्ज एक याचिका में कल उत्तराखंड हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है।
बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान उनके विपक्षी भाजपा के बागी प्रत्याशी मनीष वर्मा ने उन पर चुनाव घोषणा पत्र में दिये गये शपथ पत्र में झूठी जानकारी देने को लेकर चुनाव याचिका भी दायर की थी। याचिका में मनीष वर्मा ने कहा था कि शपथ पत्र में डा निशंक ने उन पर कोई सरकारी देनदारी न होने की घोषणा की थी। जबकि मुख्यमंत्री रहने के दौरान उन सरकारी आवास का लगभग तीन करोड़ रुपये से अधिक बकाया था। सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों का बकाया माफ कर दिया था। लेकिन बाद में उच्च न्यायालय ने सरकार के इस फैसले को पलट दिया था।
अब कल 23 जुलाई को उत्तराखंड हाईकोर्ट में एक बार फिर इस मामले की सुनवाई होनी है। ऐसे में केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की सासंदी और मंत्री पद पर एक बार फिर खतरा मंडराने लगा है। यहाँ खास बात यह है कि मनीष वर्मा भी भाजपा से ही हैं और पूर्व राज्यमंत्री भी रह चुके हैं।
यदि भाजपा समय रहते मनीष वर्मा तथा डा निशंक के बीच के गिले शिकवे दूर करने को मध्यस्थता का रास्ता खोजती तो मामला सुलट सकता था। पूर्व राज्यमंत्री रह चुके मनीष वर्मा को कहीं एडजस्ट किया जा सकता था। मनीष वर्मा के करीबी सूत्रों ने बताया कि यह सम्मान की लड़ाई है। वह पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता हैं पर सम्मान के मामले में वह किसी भी तरह का समझौता नहीं करेंगे।
तो क्या अब सरकार मनीष वर्मा और केन्द्रीय मंत्री के बीच चल रही सम्मान की इस लड़ाई का पटाक्षेप करने के लिए कदम उठायेगी? यह ज्वलंत प्रश्न है।यहाँ बता दें कि कल इस मामले में होने वाली सुनवाई अपने आप में काफी अहम् है और बड़ी बेसब्री से दोनों पक्षों को अदालत के फैसले का इंतजार है।